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Sunday, February 14, 2016

रिसर्च – ब्राह्मणों के 99 प्रतिशत डीएनए यहूदियों से मिलते है



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रिसर्च – ब्राह्मणों के 99 प्रतिशत डीएनए यहूदियों से मिलते है
January 28, 2016

JEWS AND BRAHMIN
यूरोपियन लोगो को हजारो सालो से भारत के लोगो में बहोत जादा interest है.
क्यूँ की यहाँ व्यवस्था है -,
धर्मव्यवस्था है,
वर्णव्यवस्था है,
जातिव्यवस्था है ,
अस्पृश्यता है,
रीती रिवाज है,
जिसने हजारो सालो से विदेशियों की जिज्ञासा को जगाया.की ये जो खास विशेषता है भारत के लोगो की जिसका मिलन कहीं दुनिया में नहीं होता.

इसीलिए वैज्ञानिको को हमेशा ये जिज्ञासा रही कि इस विशेषता का “मूल” कारण क्या है. मुश्किल हालात होने के बावजूद भी उसे हमेशा प्रेरित किया.इस वजह से इनके माध्यम से शोध हो रहा है ॥

अमेरिका के उताह विश्वविद्यालय (washington) में माइकल बामशाद जो Biotechnology Dept. का HOD हैं . इसने ये प्रोजेक्ट तैयार किया था। उसे अगर लागू कर दिया जाए कैसे ? क्योंकि भारत के लोग इस conclusion को मान्यता देने से इनकार कर देंगे। इसीलिये उसने एक और रास्ता निकाला .भारत के वैज्ञानिको को involve करके उसे transperent method से प्रोजेक्ट तैयार किया जाये। इसीलिए मद्रास विशाखापटटनम का Biotec.Dept.,भारत सरकार का मानववंश शास्त्र – enthropology के लोग मिलकर प्रोजेक्ट में शामिल किया जो joint प्रोजेक्ट था. उन्होंने research किया .सारे दुनिया के sample के आधार पर उन्होंने ब्राम्हणों का DNA compare (सारे जाती धर्म के लोगो के साथ) किया गया.।

यूरेशिया प्रांत में मोरुवा समूह है रशिया के पास काला सागर नमक area में ,अस्किमोझी भौगोलिक क्षेत्र में,** मोरू नाम का DNA भारत के ब्राम्हणों के साथ मिला.इसीलिए ब्राम्हण भारत के नहीं है.** महिलाओं में mitocondriyal DNA(जो हजारो सालो बाद भी सिर्फ महिला से महिला ही ट्रान्सफर होता है) के आधार पर compare किया गया.विदेशी महिलाओं के साथ का DNA भारत की *sc,st,obc* की महिलाओं के साथ नहीं मिला.। बल्कि ब्राम्हण के घरों में जो महिलाएं है.उनका *DNA sc,st,obc* के महिलाओं के साथ मिला. आर्यन,वैदिक ये theory हुआ करती थी.अब तो इसका 100% वैज्ञानिक प्रमाण ही मिल गया है.
सारी दुनिया के साथ साथ भारत के भी सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मान्यता दी है.

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क्यूँ कि यह प्रमाणित हो गया है. DNA कितना मिला किसका यूरेशियन के साथ
१)ब्राम्हण =99.90%
2) क्षत्रिय=99.88%
३)वैश्य=99.86% .

राजन दीक्षित नाम का ब्राम्हण (oxford में प्रोफेसर है) ने किताब लिखी. उनके चाचा जोशी है पूना में उन्होने वो किताब publish की india में. के **“ब्राम्हण का DNA और रशिया के पास काला सागर area में ,मोरुआ लोगो का और यहूदी (ज्यूज=हिटलर ने जिनको मारा था) लोगो का DNA एक ही है **.” ऐसा क्यों किया उसने क्यों की अमेरिकन लोग भारत के लोगो को अमेरिका में asian ना कहें!! . राजन दीक्षित ने बामशाद के ही संशोधन को आधार बनाकर exactly वो प्रांत ,आप जो यूरेशिया कह रहे हो ये कहाँ है, वो भी बताया.(राजन दीक्षित=एक महान संशोधक. ये आदमी सही मायने में भारतरत्न का हक़दार है).

DNA टेस्ट की जरुरत क्यों पड़ी???
संस्कृत और यूरोपियन language में हजारो शब्द एक जैसे मिले है.फिर भी ब्राम्हणों ने नहीं माना.फिर ये बात पुरातत्व विभाग ने सिद्ध की,मानववंशशास्त्र विभाग ने सिद्ध की,भाषाशास्त्र विभाग ने सिद्ध की फिर भी ब्राम्हणों ने नहीं माना जो की सच था। वो खुद भी जानते थे.कि ब्राम्हण भ्रांतिया पैदा करने में बहोत माहिर लोग है । इस महारथ में पूरी दुनिया में उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता। इसीलिए DNA के आधार पर संशोधन हुआ.। ब्राम्हणों का DNA प्रमाणित होने के बाद उन्होंने सोचा के अगर हम लोग अब इस बात का विरोध करते हैं तो दुनिया की नजर में हम लोग बेवकूफ साबित हो जायेंगे. दोनों तथ्यों पर चर्चा होने वाली थी इसीलिए उन्होंने चुप रहने का निर्णय लिया.। ”ब्राम्हण जब जादा बोलता है तो खतरा है .ब्राम्हण जब मीठा बोलता है तो खतरा नजदीक में पहुँच गया है और जब ब्राम्हण बिलकुल ही नहीं बोलता.एकदम चुप हो जाता है तो भी खतरा है.। its a conspiracy of silence= Dr.B.R.Ambedkar”.। अगर वो कुछ छुपा रहे हैं तो हमें जोर से बोल देना चाहिए.

इसका DNA टेस्ट का परिणाम क्या हुआ.??
अब हमें सारा का सारा इतिहास नए सिरे से लिखना होगा .जो भी लिखा है अनुमान प्रमाण पर .। अब DNA को आधार बनाकर आप विश्लेषण कर सकते हो .जो ऐसा नहीं करेगा उसे लोग backward historian कहेंगे.
DNA ट्रान्सफर होता है पीढ़ी से पीढ़ी without change. ।

आक्रमणकारी लोग हमेशा अल्पसंख्याक होते है और वहां की प्रजा बहुसंख्यांक होती है
और जब आपस में वो आते हैं .तो हमेशा अल्पसंख्याक लोगो के मन में बहुसंख्यांक लोगो के प्रति inferiority complex develop होता है । .जनसंख्या के घनत्व की physchology होती है.। इसीलिए उस समय ब्राम्हणों के मन में हीन भावना पैदा हो गया होगा .अपनी हिन् भावना को इन पराजित लोगो में ट्रान्सफर करने के लिए उन्होंने योजना बनायीं.।

INDIA WAR COUNCIL
युद्ध में पराजित किये हुये लोगो को गुलाम बनाना एक बात है और गुलाम बनाये हुये लोगो को हमेशा के लिए गुलाम बनाये रखना ये दूसरी बात है .ये समस्या ब्राम्हणों के सामने थी.।

*रुग्वेद में ब्राम्हणों को देव कहा जाता था(देवासुर संग्राम = देव + असुर) मूलनिवासियों को दैत्य,दानव,राक्षस,शुद्र,असुर कहते थे.।
ये evidence है .। अब देव ब्राम्हण कैसे हो गए???

दीर्घकाल तक लोगो को गुलाम बनाये रखने के लिए उनको व्यवस्था बनानी पड़ी. इसीलिए उन्होंने वर्णव्यवस्था बनायीं.। दैत्य,दानवो का नाम परिवर्तन करके उनको शुद्र घोषित किया.क्रमिक असमानता है तो ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य को अधिकार है तो शुद्र को भी अधिकार होना चाहिए .मगर वो अधिकार वंचित है .ऐसा क्यूँ किया??

खुद को ब्राम्हण घोषित करने के लिए .। ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य अगर एक ही है तो उन्होंने अपने को ३ हिस्सों में क्यूँ बाटा????

हमको शुद्र घोषित, याने गुलाम बनाने के लिए व्यवस्था बनाना जरुरी था. संस्कृतभाषा में वर्ण का अर्थ होता है रंग.इसका मतलब है की ये रंगव्यवस्था है (वर्णव्यवस्था). संस्कृत डिक्शनरी में भी आपको ये मिलेगा. ये वर्णव्यवस्था/रंगव्यवस्था क्यूँ है????

क्यूँ के ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य ये एक ही रंग के लोग हैं. इसीलिए रंगव्यवस्था में ये अधिकार संपन्न है.।
चौथे रंग का आदमी उस रंग का नहीं है अर्थार्त.इसिलए अधिकार वंचित है.DNA की वजह से ये विश्लेषण करना संभव है. Racial Discrimination Ideology है ब्राम्हणवाद. .वर्णव्यवस्था बनाने से गुलाम बनाना और दीर्घकाल तक गुलाम बनाये रखना ब्राम्हणों को संभव हुआ.

ब्राम्हणों ने सभी धर्मशास्त्रों में सभी महिलाओं को शुद्र घोषित क्यूँ किया ???? 
ये आजतक का सबसे मुश्किल सवाल था .ब्राम्हण की माँ,बेटी,बहन,बीवी को भी उन्होंने शुद्र घोषित किया. DNA में **mitocondriyal DNA** के आधार पर ये सिद्ध हुआ.। ब्राम्हणों के महिला और एससी एसटी और ओबीसी महिला का DNA मिलता है .वो जानते थे की जब उन्होंने प्रजनन के लिए यहीं की महिलाओं का उपयोग किया है.इसीलिए उन्हें शुद्र वर्ण में ढकेल दिया.।

इसीलिए ब्राम्हण हमेशा purity की बात करता है.आदमी का DNA आदमी में ट्रान्सफर होता है. ये बात वो जानते थे इसीलिए औरत को तो वो हमेशा पाप योनी मानता आया है.क्यूँ की वो उनकी कभी नहीं थी. DNA और धर्मशास्त्र दोनों के आधार पर ये सिद्ध कर सकते हैं. इससे ये भी सिद्ध हुआ के आर्य ब्राम्हण स्थलांतरित नहीं हुये थे.वो आक्रमण करने के लिए ही यहाँ आये थे .क्यूँ के जो आक्रमण करने के लिए आतें हैं ,उनके साथ महिलाएं बिलकुल भी वो नहीं लातें हैं । .ऐसी उस समय दृढ़ मान्यता भी थी.इसीलिए उनका आक्रमणकारी स्वभाव आजतक बना हुआ है….

**बुद्ध ने वर्णव्यवस्था को समाप्त किया.**
ओबीसी / एससी / एसटी के गुलामी के विरोध में लढने वाला वो सबसे बड़ा पुरखा है .इसका मतलब है वर्णव्यवस्था बुद्धपूर्वकाल में विद्यमान थी.ये evidence है.इस जनआंदोलन में बुद्ध को मूलनिवासियों ने ही सबसे जादा जनसमर्थन दिया.तो जैसे ही वर्णव्यवस्था ध्वस्त हुई और चतुसुत्री पर आधारित नई समाज रचना का निर्माण हुआ.उसमे समता,स्वतंत्रता,बंधुता और न्याय पर आधारित समाजव्यवस्था निर्माण की गयी.। इसका मतलब है की बुद्ध गुलामी के विरोध में लढ रहे थे.

BUDDHA
इस क्रांति के बाद ही प्रतिक्रांति हुई जो पुष्यमित्र शुंग(राम) ने बृहदत्त की हत्या करके की .वाल्मीकि शुंग के दरबार में राजकवि था और उसे सामने रखकर ही रामायण लिखी गयी .इसका evidence रामायण में खुद है.हत्या पाटलिपुत्र में हुई थी.शुंग की राजधानी अयोध्या है और रामायण में राम की राजधानी भी अयोध्या है archeological evidence है.कोई भी राजा अपनी राजधानी का निर्माण करता है .तो वो उसे युद्ध करके जीतता है ,फिर अपनी राजधानी खड़ीं करता है.मगर अयोध्या युद्ध जीतकर खड़ीं की गयी राजधानी नहीं थी .इसीलिए उसका नाम रक्खा अयोध्या.(अ+योध्या) . युद्ध ना होकर निर्माण की गयी राजधानी .शुंग ने अश्वमेध यज्ञ किया.रामायण में रामने भी अश्वमेध यज्ञ किया.

ये जो प्रतिक्रांति शुंग ने की इसके बाद जातिव्यवस्था का निर्माण हुआ.पहले गुलाम बनाने के लिए वर्णव्यवस्था और क्रांति के बाद जब प्रतिक्रांति हुई उसके बाद जातिव्यवस्था का निर्माण हुआ.फिर उन्होने योजना बनायीं के हमेशा के लिए अब बहुजनों का प्रतिकार ख़त्म कर दिया जाये.बिलकुल भी लायक ना रक्खा जाये.इसीलिए उन्होंने बहुजनों को 6000 अलग अलग जातियों के टुकडो में बाटां.इससे इन लोगो की एक pshychology तैयार हो गयी के हम प्रतिकार करने लायक नहीं है.। गुलामो की ही ऐसी प्रतिक्रिया होती है.ये सबुत है गुलामी का .दुनिया में जाती व्यवस्था नहीं है इसीलिए दुनिया में कुटुंब व्यवस्था नहीं है.बुढोके लिए old age home है foreign में.।

जाति व्यवस्था को फिरसे क्रमिक असमानता पर खड़ा किया ब्राम्हणों ने .अ-समान लोग आपस में समान होने चाहिए थे मगर क्रमिक असमानता में अ-समान लोग भी आपस में समान नहीं है। .प्रतिकार अंदर ही अंदर होता है .जिसने गुलामी लादी उसके बारे में प्रतिकार करने का खयाल ही नहीं आता.। ब्राम्हणों ने जातीअंतर्गत लढाई शरू करवा दी .ये DNA सिद्ध करता है की निर्माणकर्ता ब्राम्हण है.उसने सभी को विभाजित किया लेकिन खुद को कभी भी विभाजित नहीं होने दिया .

जाती को बनाये रखने के साथ ब्राम्हणों की supremacy जुडी हुई है .इसीलिए उनके सामने ये हमेशा संकट खड़ा रहा की कैसे इस जातिव्यवस्था को बनाये रक्खा जाये . Evidence= कन्यादान system = ये कोई वस्तु नहीं है दान करने के लिए .धार्मिक व्यवस्था इस के लिए ऐसी बनायीं गयी.स्त्री अगर उपवर हो गयी ,शादी योग्य हो गयी तो उसकी शादी करने के की जिम्मेदारी माँ,बाप की ही होगी . Bramhanical Social Order. परिवार ही शादी करेगा.अगर कन्या खुद अपनी पसंद से शादी करेगी तो जाती के बहार जाकर शादी कर सकती है । । .तो जातिव्यवस्था ख़तम हो जाएगी। । .ब्राम्हण की supremacy ख़तम जो जाएगी .तो बहुजनों की गुलामी ख़तम हो जाएगी.ये नहीं होना चाहिए .इसीलिए कन्यादान system निकाला .

*****बालविवाह=
कन्या के विवाह योग्य होने के पहले ही शादी कर दी जाये.क्यों कि विवाह योग्य होगी तो अपने पसंद से शादी कर सकती है .इसीलिए बचपन में ही उसकी व्यवस्था कर दी .माँ,बाप जाती अंतर्गत ही शादी करेंगे.For more information read Cast in india & anhilation of cast= *Dr.B.R Ambedkar* .

*****विधवाविवाह=
विधवाविवाह पर पाबंदी क्यों थी??? अगर किसी विधवा से कोई शादी योग्य लड़का समाज के अंदर का उससे हुई.तो समाज में उसके लिए एक लड़के की कमी होगी .वो लड़की जाती के बाहर जाकर शादी कर सकती है .तो भी जाती व्यवस्था खतरे में पड़ेगी.जाती अंतर्गत विवाह जाती बनाये रखने का सूत्र है.

जातिव्यवस्था बनाये रखने के लिए उन्होंने महिलाओं का इस्तेमाल किया.
मतलब विधवा को शादी ना करने का बंधन . विधवाविवाह पर पाबंदी थी .लेकिन उन्होंने देखा की ये इसे टिकाये रखना जाद्त्ती है.ये सम्भव नहीं है.तो ये विधवा सुंदर नहीं दिखनी चाहिए.तो उसके बल कांट दिए गए .ताकि कोई उसकी तरफ आकर्षित ना हो और कोई उसके साथ शादी करने के लिए तैयार ना हो जाये.याने किसी भी स्थिति में ये जाति व्यवस्था बने ही रहनी चाहिए.

JHOLA (NEPALI MOVIE)
सती प्रथा
****सतीप्रथा=
दूसरा रास्ता ब्राम्हणों ने निकाला.अपने पति के साथ मरनेवाली जो स्त्री है ये पतिव्रता स्त्री है और ये पतिव्रता स्त्री है .ये सचचरित्र स्त्री है.इसीलिए ये सती है.ब्राम्हणों ने ये जो गलत और घटियाँ कम किया .इस गलत और घटियाँ काम का उन्होंने गौरव किया.सच के लिए जान दे रही है .गौरवभाव निर्माण किया.जो जिवंत रही है वो अपने पति की चिता पर जिन्दा जलनी चाहिए .इसके लिए स्त्री में प्रेरणा पैदा की जाये.ये प्रेरणा पैदा करने के लिए उन्होंने औरतो के लिए खास त्यौहार बनाया.जिसका नाम था वडसावित्री.

***वडसावित्री=
(प्रेरणा) संस्कार बनाया योजनाबद्ध तरीके से .औरत धागा लेकर चक्कर काटती है और कहती है यही पति मुझे सातों जनम जनम तक मिलना चाहिए .ये शराबी है फिर भी मीलना चाहिए.मारता-पिटता है फिरभी मिलना चाहिए। .यही मिलना चाहिए.गहरी बात है .समझिए .ये बार बार हर साल त्यौहार आता है .तो हर साल उनके मन में ये संस्कार किया जाता है .यही पति तुमको मिलने वाला है और कोई पति मिलने वाला नहीं है .और अगर तुम जिन्दा रहती हो तो जबतक जिंदा रहोगी तबतक तुम्हारा पुनर्मिलन होने के लिए तुम देर कर दोगी। .क्यों की अगर तुम अपने पति की चिता पर मार जाओगी.तो एक ही तारीख को,एकही समय को पैदा हो जाओंगी ,पुनर्जन्म हो जायेगा.फिर दोनों का मिलन भी हो जायेगा,अगर एकसाथ जाओगी.जिन्होंने षड्यंत्र किया ,जिन्होंने योजना बनायीं,जिन्होंने प्लानिंग बनायीं.कोई चोर में चोर हूँ ये नहीं बताता.ऐसा ही ब्राम्हणों के बारे में है.जनम जनम की theory महिलाओं में प्रेरणा देने के लिए की गयी.परंतु अब यह प्रथा समाप्ती पर है ॥

****क्रमिक असमानता=
जातिव्यवस्था बंधन डालने के बाद ही निर्माण करना /maintain करना संभव है.गुलाम बनाने के लिए .हर कोई किसी ना किसी के ऊपर होने से वो समाधानी रहता है.ये सारे लोग अपने आप में लड़ते रहे.इसीलिए ब्राम्हणों के लिए वो unite हो ही नहीं सकते.consolation prize is not a real prize. यहीं पर लगना चाहिए .ये ऊंचनीच की भावना एक आदमी को नहीं पुरे humanity को ख़तम करती है.

****अस्पृश्यता=
ये बुद्ध पूर्व काल में नहीं थी.जातिव्यवस्था बुद्ध पूर्व काल में नहीं थी.इसीलिए literature में नहीं है.इसीलिए भ्रांति होती है.जिन बुद्धिष्ट लोगो ने ब्राम्हणी धर्म से compramise किया .उसे अपना लिया. वो आज obc है.उनपर ब्राम्हणवाद का प्रभाव है .obc,untouchable,tribe भी प्रतिक्रांति के बाद के वर्ग है.।

सिंधु घाटी की सभ्यता पैदा करने वाले भारतीय लोगो से इतनी बड़ी महान सभ्यता कैसे नष्ट हुई,जो 4500, 5000 पूर्व थी ??? ये इंग्रेजो ने पूछा था.एक अंग्रेज़ अफसर को इस का शोध करने के लिए भी बोला गया था.बाद में इसके शोध को राघवन और एक संशोधक ने continue किया .पत्थर और इटें के टेस्ट में पता चला की ये संस्कृति अपने आप नहीं गीरी वो गिराई गयी । .दक्षिण राज्य केरल में हराप्पा और मोहेंदोजड़ो के 429 अवशेष मिले.ब्राम्हण भारत में ईसा पूर्व 1600,1500 शताब्दी पूर्व आया.

ऋग्वेद में इंद्र के संदर्भ में 250 श्लोक आतें हैं.सबसे अधिक श्लोक इंद्र पर है.जो ब्राम्हणों का नायक है.बार-बार ये श्लोक आता है. “हे इंद्र उन असुरों के दुर्ग को गिराओं” उन असुरों(बहुजनों) की सभ्यता को नष्ट करो.ये धर्मशास्त्र नहीं बल्कि criminal दस्तावेज हैं.

भाषाशास्त्र के आधार पर ग्रिअरसन ने भी ये सिद्ध किया की अलग-अलग राज्यों में जो भाषा बोली जाती हैं,वो सारी origion from पाली है.

DNA का evidence निर्विवाद और निर्णायक है.क्यूँ के वो तर्क,दलील पर खड़ा नहीं है.जिसे lab में जाकर प्रमाणित किया जा सकता है.lab कोई जाती नहीं है science है.lab धर्मनिरपेक्ष है.इसीलिए lab निर्णायक और निर्विवाद है.। कोई भी आदमी अपना DNA टेस्ट lab में जाकर करा सकता है.इस DNA के शोध में पूरी दुनिया से शोध करनेवाले 265 लोग थे. **बामशाद का ये शोध 21 may 2001 को *nature* नाम के अंक में ,जो दुनिया का वैज्ञानिक सबसे जादा मान्यता प्राप्त अंक है उसमे आया था.**

बाबासाहब आंबेडकर की उम्र सिर्फ 22 साल थी जब उन्होंने विश्व का जाती का origion क्या है ?इसका खोज किया था और 2001 में जो DNA reasearch हुआ था .बाबासाहब का और माइकल बामशाद का मत एक ही निकला था.।

ब्राम्हण सारी दुनिया के सामने पुरे expose हो चुके थे.फिर भी मापदंड के आधार पर ये जो दक्षिण राज्य के ब्राम्हणों ने दो विभिन्न नस्लों की संतान है / दो पूर्वज समूह की संतान है भारतीय ऐसा झूठा प्रचारित करने के लिये,अपना विदेशीपण छिपाने के लिए, उन्होंने हमेशा की तरह ब्राम्हण theory use करते हुये ,पूर्व के DNA संशोधन को ख़ारिज नहीं किया और एक झूठ media के द्वारा प्रचारित करना शुरू कर दिया .की अभी कोई भी मूलनिवासी कह नहीं सकता है .सब अब संमिश्र है । .

उन्होंने कहाँ का मापदंड ढूंडा?????
उन्होंने अंदमान और निकोबार द्वीप समूह में जो आदिवासी जनजाति है.उसका दलील देकर कहा की ये अफ्रीकन का वंशज है .वो इधर से आया था और इधर से यूरोपियन countries में चला गया .तो कैसे गया?? इसका शोध करना चाहिए.ऐसा कहा. माइकल बामशाद के विज्ञानं द्वारा किये गए शोध को नाराकने के लिए । उन्होंने विज्ञानं का सिर्फ नाम लिया .सिर्फ उस प्रचार में विज्ञानं ये शब्द डाला.उससे झूठ प्रचारित किया. ब्राम्हण अगर तुमको यही झूठी कहानी बताये तो पूछो के इन दो में से कौनसा विदेश से आया ???
विदेशी का DNA बताओं?????
लेकिन वो ये साबित कर ही नहीं सकते.

ब्राम्हण मुसलमान विरोधी घृणा अभियान क्यूँ चलाते हैं?????
क्यूँ कि ब्राम्हणवाद और बुद्धिजम के टकराव में जो ब्राम्हण विरोधी बुद्धिष्ट मुसलमान बने.उन्होंने ब्राम्हण धर्म को नहीं अपनाया.इसीलिए ये सब पहले से किया जा रहा है.क्यूँ के ब्राम्हण जानता है की ये मूल के बुद्धिष्ट लोग हैं.

इंग्रेजो के गुलाम ब्राम्हण थे और उनके गुलाम मूलनिवासी बहुजन थे.। जो आज तक आजाद नहीं हुये हैं.आजादी की जंग में जो आजादी का आंदोलन लड़ रहे थे .उनके सामने ये समस्या थी.इसीलिए बाबासाहब ने इंग्रेजो को कहा था की ब्राम्हण को आजाद करने के पहले हम बहुजनों को आजाद जरुर कर देना.। अगर तुमने ब्राम्हणों को हमसे पहले आजाद कर दिया .तो ब्राम्हण हमको आज़ाद करने वाले नहीं है .। ये आशंका सिर्फ बाबासाहब के मन में ही नहीं थी बल्कि मुसलमानों के भी मन में थी.ये बात जिन्ना के संगयान मेन थी इसीलिए 14 aug.को पाकिस्तान बना.मुसलमानों ने इंग्रेजो को कहा कि गाँधी के पहले एक दिन हमको आझादी दे देना.। और हमारे बाद गाँधी को देना.। अगर तुमने गाँधी को पहले दे दिया तो गाँधी बनिया है हमको कुछ नहीं देगा। . ब्राम्हणों ने अपने आजादी की लढाई हमको सीढ़ी बनाकर लढी.और वो इंग्रेजो को भगाकर आज़ाद हो गए.

DNA संशोधन आया.उसने सिद्ध किया के ब्राम्हण यहाँ के नहीं है .ब्राम्हण विदेशी है. जब ये देश इनका कभी था ही नहीं,उन्होंने कभी ये माना नहीं. इसीलिए तो ब्राम्हण हमेशा हमको राष्ट्रवाद की theory बताता आया है.कि हम कितने राष्ट्रभक्त है और मूल बात छुपाता है.इसका मतलब एक विदेशी देश छोड़कर गया.दूसरा विदेशी देश का मालिक हो गया.DNA ने ये सिद्ध कर दिया.दुसरे विदेशी यानि ब्राम्हणों ने ये propaganda किया के भारत आज़ाद हो गया. । भारत आज़ाद नहीं हुआ । ब्राम्हण आज़ाद हुआ । अर्थात विदेशियों का राज है. बहुजनों को आझादी हासिल करने का कार्यक्रम भविष्य में चलाना ही पड़ेगा.ये मामला अभी समाप्त नहीं हुआ.इतने conclusion draw होते है DNAके आधार पर.ये दुनिया के 600 cr. में से 100 cr. जिनकी प्रजा है.उन 100cr. को प्रभावित करने वाला संशोधन है.कल्पना करो कितना मुलभुत और कितना महत्वपूर्ण संशोधन।

नवभारत टाइम्स से लिया गया लेख

Tuesday, September 29, 2015

ब्राह्मण दिन रात हिन्दू हिन्दू क्यों चिल्लाते रहता है इसका एक सनसनीखेज खुलासा



ब्राह्मण दिन रात हिन्दू हिन्दू क्यों चिल्लाते रहता है इसका एक सनसनीखेज खुलासा >>>
1)बाभन जात को पता है की, जब तक उसने ''हिन्दू'' नाम की चादर, धर्म के नामपर ओढ़ी है, तब तक ही उसका वर्चस्व भारत पर है !!
2)क्योकि बाभन जानता है की बाभन ,बाभन के नाम पर गाव का ''प्रधान'' भी नहीं हो सकता ,''हिन्दू'' के नामपर ''प्रधानमन्त्री'' ,और ''केन्द्रीय मंत्री'' झट से बन जाता है !!
3)बाभन यह भी जनता है की जिस दिन यह ''हिन्दू'' नामकी चादर खुल गयी कुत्ते की मौत मारा जाएगा ,
इसीलिए बाभन दिन रात ''हिन्दू हिन्दू हिन्दू'' रटते रहता है,
४)जब की बाभन खुद यह जानता है की ,''हिंदू'' नाम का कोई धर्म नही है ...हिन्दू फ़ारसी का शब्द है । 5)हिन्दू शब्द न तो वेद में है न पुराण में न उपनिषद में न आरण्यक में न रामायण में न ही महाभारत में । 
6)स्वयं बाभन जात ''दयानन्द सरस्वती'' कबूल करते हैं कि यह मुगलों द्वारा दी गई गाली है । 
7)1875 में बाभन ''दयानन्द सरस्वती'' ने ''आर्य समाज'' की स्थापना की ''हिन्दू समाज'' की नहीं । 8)अनपढ़ बाभन भी यह बात जानता है की बाभनो ने स्वयं को ''हिन्दू'' कभी नहीं कहा। आज भी वे स्वयं को ''बाभन'' ही कहते हैं, लेकिन सभी मूलनिवासी शूद्रों को हिन्दू कहते हैं ।
9)जब शिवाजी हिन्दू थे और मुगलों के विरोध में लड़ रहे थे तथा तथाकथित हिन्दू धर्म के रक्षक थे तब भी पूना के बाभनो ने उन्हें ''शूद्र'' कह राजतिलक से इंकार कर दिया । घूस का लालच देकर बाभन गागाभट्ट को बनारस से बुलाया गया । गगाभट्ट ने "गागाभट्टी"लिखा उसमें उन्हें विदेशी राजपूतों का वंशज बताया तो गया लेकिन राजतिलक के दौरान मंत्र "पुराणों" के ही पढे गए वेदों के नहीं ।तो शिवाजी को ''हिन्दू'' तब नहीं माना। 
10) बाभनो ने मुगलों से कहा हम ''हिन्दू'' नहीं हैं बल्कि, तुम्हारी तरह ही विदेशी हैं परिणामतः सारे हिंदुओं पर जज़िया लगाया गया लेकिन बाभनो को मुक्त रखा गया ।
11) 1920 में ब्रिटेन में वयस्क मताधिकार की चर्चा शुरू हुई ।ब्रिटेन में भी दलील दी गई कि वयस्क मताधिकार सिर्फ जमींदारों व करदाताओं को दिया जाए । लेकिन लोकतन्त्र की जीत हुई । वयस्क मताधिकार सभी को दिया गया । देर सबेर ब्रिटिश भारत में भी यही होना था । तिलक ने इसका विरोध किया । कहा " तेली,तंबोली ,माली,कूणबटो को संसद में जाकर क्याहल चलाना है" । ब्राह्मणो ने सोचा यदि भारत में वयस्क मताधिकार यदि लागू हुआ तो अल्पसंख्यक बाभन मक्खी की तरह फेंक दिये जाएंगे । अल्पसंख्यक बाभन कभी भी बहुसंख्यक नहीं बन सकेंगे । सत्ता बहुसंख्यकों के हाथों में चली जाएगी । तब सभी ब्राह्मणों ने मिलकर 1922 में "हिन्दू महासभा" का गठन किया । 12)जो बाभन स्वयं हो हिन्दू मानने कहने को तैयार नहीं थे वयस्क मताधिकार से विवश हुये । परिणाम सामने है । भारत के प्रत्येक सत्ता के केंद्र पर बाभनो का कब्जा है । 
सरकार में बाभन ,विपक्ष में बाभन ,कम्युनिस्ट में बाभन ,ममता बाभन ,जयललिता बाभन ,367 एमपी बाभनो के कब्जों में है ।
13) सर्वोच्च न्यायलयों में बाभनो का कब्जा,ब्यूरोक्रेसी में बाभनो का कब्जा,मीडिया,पुलिस ,मिलिटरी ,शिक्षा,आर्थिक सभी जगह बाभनो का कब्जा है । 
14) मतलब एक विदेशी गया तो दूसरा विदेशी सत्ता में आ गया । हम अंग्रेजों के पहले बाभनो के गुलाम थे अंग्रेजों के जाने के बाद भी बाभनो के गुलाम हैं । यही वह ''हिन्दू'' शब्द है जो न तो वेद में है न पुराण में न उपनिषद में न आरण्यक में न रामायण में न ही महाभारत में । फिर भी ब्राह्मण हमें हिन्दू कहते हैं ,और हिन्दू की आड़ में अल्पसख्य बाभन बहुसंख्य बन भारत का कब्ज्जा कर लेते है !!!
यह रहा हिन्दू नाम की आड़ में विदेशी ब्राह्मणों के कब्ज्जे का सबुत ,
१)देश के 8676 मठों के मठाधीश
सवर्ण : 96 प्रतिशत
(इसमें ब्राह्मण 90 प्रतिशत)
ओबीसी : 4 प्रतिशत
एससी : 0 प्रतिशत
एसटी : 0 प्रतिशत
स्रोत : डेली मिरर,
२)प्रथम श्रेणी की सरकारी नौकरियों में जातियों का विवरण
सवर्ण : 76.8 प्रतिशत
ओबीसी : 6.9 प्रतिशत
एससी : 11.5 प्रतिशत
एसटी : 4.8 प्रतिशत
स्रोत : वी. नारायण स्वामी, राज्यमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय, भारत सरकार द्वारा संसद में शरद यादव के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए.
३)देश का कोई भी विश्वविद्यालय दुनिया के टॉप 200 में कहीं नहीं है. इन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों का जातीय विवरण निम्न प्रकार से है:
सामान्य - 90 प्रतिशत
ओबीसी - 6.9 प्रतिशत
एससी - 3.1 प्रतिशत
एसटी - 0 प्रतिशत
स्रोत : डेली मिरर
४)
हमारे शिक्षा संस्थानों में से एक भी दुनिया के टॉप 200 में कहीं नहीं है. केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में कुल 8852 शिक्षक कार्यरत हैं जिनमें विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व निम्न प्रकार है:
सवर्ण : 7771
ओबीसी : 1081
एससी : 568
एसटी : 268
स्रोत : RTI No. Estt./P10/69-2011/I.I.T. K267
Jan.29, 2011
~~भारतीय मीडिया तंत्र के मालिक और उनकी हकीकत
1=टाईम्स ऑफ इंडिया=जैन(बनिया) 
2=हिंदुस्थान टाईम्स=बिर्ला(बनिया) 
3=दि.हिंदू=अयंगार(ब्राम्हण)
4=इंडियन एक्सप्रेस=गोयंका(बनिया) 
5=दैनिक जागरण=गुप्ता(बनिया) 
6=दैनिक भास्कर=अग्रवाल(बनिया)
7=गुजरात समाचार=शहा(बनिया) 
8=लोकमत =दर्डा(बनिया) 
9=राजस्थान पत्रिका=कोठारी(बनिया)
10=नवभारत=जैन(बनिया) 
11=अमर उजाला=माहेश्वरी(बनिया)  
~~भारत सरकार के असली मलिक... वह कौन है... क्या यह सारी कंपनी, मिडिया (प्रिंट और टी.व्ही. चैनल्स) किसके पास है... क्या एस.सी., एस.टी., ओबीसी या मुसलमानो के पास मै है... कौन भ्रष्ट है?... यह पता चल जायेगा... कॉंग्रेस, बीजेपी या कम्युनिस्ट पार्टी पहले से ही ब्राम्हणो की है... उनको नीचे दिये गये लोग चलाते है...
१) एससी सिमेंट कंपनी=सुमित बैनर्जी(ब्राम्हण) 
२) भेल=रविकुमार/कृष्णास्वामी(ब्राम्हण)
३) ग्रासिम हेंडालकी=कुमार मंगलम/बिर्ला(बनिया) 
४) आयसीआयसी बँक=के.व्ही.कामत(ब्राम्हण)
५) जयप्रकाश असो.=योगेश गौर(ब्राम्हण)
६) एल. & टी.=एम.ए.नाईक (ब्राम्हण)
७) एनटीपीसी=आर.एस.शर्मा(ब्राम्हण ) 
८) रिलायन्स=मुकेश अंबानी(बनिया)
९) ओएनजीसी=आर.एस.शर्मा(ब्राम्हण) 
१०) स्टेट बँक ऑफ इंडिया=ओपी भट(ब्राम्हण)
११) स्टर लाईट इंडस्ट्री=अनिल अग्रवाल(बनिया) 
१२) सन फार्मा=दिलीप सिंघवी(ब्राम्हण)
१३) टाटा स्टील=बी.मथुरामन(ब्राम्हण) 
१४) पंजाब नैशनल बँक=के. सी. चक्रवर्ती(ब्राम्हण)
१५) बँक ऑफ बडोदा=एम.डी.माल्या(ब्राम्हण) 
१६) कैनरा बँक=ए.सी.महाजन(बनिया)
१७) इनफोसीस=क्रीज गोपालकृष्णन(ब्राम्हण) 
१८) टीसीए=सुभ्रमन्यम रामदेसाई(ब्राम्हण)
१९) विप्रो=अजीम प्रेमजी(खोजा) 
२०) किंगफिशर (विमान कंपनी)=विजय माल्या(ब्राम्हण)
२१) आयडीया=आदित्य बिर्ला(बनिया) 
२२) जेट एअर वेज=नरेश गोयल(बनिया)
२३) एअर टेल=मित्तल (बनिया) 
२४) रिलायन्स मोबाईल=अंबानी (बनिया)
२५) वोडाफोन=रोईया(बनिया) 
२६) स्पाईस=मोदी(बनिया)
२७) बि.एस.एन.एल.=कुलदीप गोयल(बनिया) 
२८) टी.टी.एम.एल.=के.ए.चौकर(ब्राम्हण),,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इन ब्राह्मण के फेंके जाल में मत फसिये
पढ़िए और परिक्षण कर के जानिए. आरएसएस
राष्ट्रवादी या जातिवादी? महाराष्ट्र के कुछ
पुरातनपंथी ब्राह्मणों द्वारा स्थापित करके
विक्सित किया गया संघ(आरएसएस)
राष्ट्रवादी है या जातिवादी ?
इसका परिक्षण 2004 के राष्ट्रिय स्तर के संघ के
पदाधिकारियो के नीचे वर्णित विवरण में दिए
गए नामो में से देश के भिन्न-भिन्न सामाजिक
समूहों का कितना प्रतिनिधित्व है,
उनका विश्लेषण करने से हो सकता है. क्रम - - पद - -
- - - - - - नाम - - - - - - - वर्ण
01. सरसंघचालक - - - - के.एस.सुदर्शन - - - - -
ब्राह्मण
02. सरकार्यवाह - - - - - मोहनराव भागवत - -
ब्राह्मण
03. सह सरकार्यवाह - - - मदनदास. - - - - - - -
ब्राह्मण
04. सह सरकार्यवाह - - - सुरेश जोशी - - - - - -
ब्राह्मण
05. सह सरकार्यवाह - - - सुरेश सोनी - - - - - -
वैश्य
06.शारिरीक प्रमुख - - - उमाराव पारडीकर - -
ब्राह्मण
07. सह शारीरिक प्रमुख - के.सी.कन्नान - - - - -
वैश्य
08.बौध्धिक प्रमुख - - - -रंगा हर - - - - - - - -
ब्राह्मण
09. सह बौध्धिक प्रमुख - -मधुभाई कुलकर्णी - - -
ब्राह्मण
10. सह बौध्धिक प्रमुख - -दत्तात्रेय होलबोले - -
-ब्राह्मण
11. प्रचार प्रमुख - - - - - श्रीकान्त जोशी - - -
- ब्राह्मण
12. सह प्रचार प्रमुख - - - अधिश कुमार - - - - -
ब्राह्मण
13. प्रचारक प्रमुख - - - - एस,वी. शेषाद्री - - - -
ब्राह्मण
14. सह प्रचारक प्रमुख - - श्रीकृष्ण मोतिलाग - -
ब्राह्मण
15. सह प्रचारक प्रमुख - - सुरेशराव केतकर - - -
ब्राह्मण
16. प्रवक्ता - - - - - - - -राम माधव - - - - - -
ब्राह्मण
17. सेवा प्रमुख - - - - - -प्रेरेमचंद गोयेल - - - -
वैश्य
18.सह सेवा प्रमुख - - - -सीताराम केदलिया - -
वैश्य
19.सह सेवा प्रमुख - - - -सुरेन्द्रसिंह चौहाण - - -
क्षत्रिय
20. सह सेवा प्रमुख - - - -ओमप्रकाश- - - - - - -
ब्राह्मण
21. व्यवस्था प्रमुख - - - -साकलचंद बागरेचा - -
वैश्य
22.सहव्यवस्था प्रमुख - - बालकृष्ण त्रिपाठी - -
-ब्राह्मण
23. संपर्क प्रमुख - - - - - हस्तीमल - - - - - - - -
वैश्य
24.सह संपर्क प्रमुख - - - इन्द्रेश कुमार- - - - - -
ब्राह्मण
25. सभ्य- - - - - - - - - राघवेन्द्र कुलकर्णी - - -
ब्राह्मण
26. सभ्य - - - - - - - - -एम.जी. वैद्य - - - - - -
ब्राह्मण
27. सभ्य - - - - - - - - -अशोक कुकडे- - - - - -शुद्र
28. सभ्य - - - - - - - - -सदानंद सप्रे- - - - - - -
ब्राह्मण
29. सभ्य - - - - - - - - -कालिदास बासु - - - - -
ब्राह्मण
30. विशेष आमंत्रित - - - सूर्य नारायण राव - - -
ब्राह्मण
31. विशेष आमंत्रित - - - श्रीपति शास्त्री - - -
- - ब्राह्मण 32. विशेष आमंत्रित - - - वसंत बापट -
- - - - - ब्राह्मण
33. विशेष आमंत्रित - - - बजरंगलाल गुप्ता - - - -
वैश्य (स्त्रोत-आरएसएस डॉटकॉम इंटरनेट पर
आधारित-2004)
अखिल भारतीय स्तर पर सर संघचालक के.एस.सुदर्शन
सहित 24 ब्राह्मण यानी 72.73%, 7 वैश्य
यानी 21.21%, 1 क्षत्रिय
यानी 3.03% और 1 शुद्र यानी 3.03%
प्रतिनिधित्व देखने को मिलता है. ब्राह्मण और
वैश्य जैसी उच्चवर्ग जातियो का 93.04%
प्रतिनिधित्व है. 5% विक्सित शुद्र और 45%
पिछड़े शुद्र(ओबीसी) तथा 24% एससी-
एसटी जातियों को मिला कर 75%
आबादी का 1 यानी सिर्फ 3.03%
ही प्रतिनिधित्व है.एससी-
एसटी जातियों का कोई प्रतिनिधित्व
ही नहीं है. ऊपर का ये चित्र ब्राह्मण जातिवाद
के नंगे नाच का चित्र है. संघ के
जातिवादी ब्राह्मण नेताओ ने भारत को 11
क्षेत्रों में बांट कर अपने जाति संगठन को आरएसएस
के नाम से जमाया है. इन क्षेत्रो का संचालन करने
वालो का सामाजिक चित्र नीचे
दिया गया है.
11 क्षेत्रोके 34 पदाधिकारियों में सामाजिक
प्रतिनिधित्व
सामाजिकवर्ग - - - - आबादी - - -
पदाधिकारी - हिस्सेदारी
1. ब्राह्मण - - - - - -03.00% - - - 24 - -
- - 70.59%
2. क्षत्रिय-भूमिहार - 05.90% - - - 01
- - - - 02.94%
3. वैश्य - - - - - - -01.70% - - - 07 - - - -
20.55%
4. शुद्र - - - - - - - 51.70%- - - - 01 - - -
- 05.88%
5. अतिशुद्र- - - - - 24.00% - - - -00 - -
- - 00.00%
(स्त्रोत-आरएसएस डॉटकॉम 2004- इंटरनेट पर
आधारित)
केवल अखिल भारतीय संघ
ही नहीं परन्तु 11 क्षेत्रोंमें बंटा हुए आरएसएस
का क्षेत्रीय नेतृत्व भी ब्राह्मण नेताओ के
नियंत्रण में है. 11 क्षेत्रोके 34 पदाधिकरियोमे
ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व 70.59% है,
जबकि वैश्य 20.59% है.
निम्न वर्गोमे शुद्र- अतिशुद्रो की 75%
आबादी का पदाधिकरियोमे प्रतिनिधित्व
सिर्फ 5.88% ही है. अतिशुद्र मानी गई एससी-
एसटी जातियों की 24%
जनसंख्या का तो कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है.
ऊपर का चित्र देखने के बाद कोई भी व्यक्ति कह
सकता है की, संघ और संघ द्वारा खड़े किये गए
संगठनो का नियंत्रण ब्राह्मण जाति के हाथ में है.
संघ ढोंगी हिन्दुवादी, पाखंडी राष्ट्रवादी और
असली जातिवादी है.
जैसा परिक्षण तिन ब्राह्मण सरसंघचालको के
जीवनवृतो में से हो सकता है वैसा ही परिक्षण
1998-2004 के दौरान केन्द्र सरकार के
प्रधानमन्त्री रहे संघ के कट्टर
जातिवादी ब्राह्मण प्रचारक
अटलबिहारी वाजपेयी के व्यवहार से भी स्पष्ट
हो सकता है. वाजपेयी शासन मे
ब्राह्मणों को क्या मिला और
गैरब्राह्मणों को क्या मिला? गैर- ब्राह्मणों में
शुद्र-अतिशुद्र(75%) को क्या मिला? केबिनेट और
नियुक्ति में कितनी सामाजिक
हिस्सेदारी मिली? - वाजपेयी शासनमे
ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व 1998 - 2004
क्रम - - - - पद - - - - - - - - - - - -कुल - - ब्राह्मण
- हिस्सेदारी
1. - केन्द्रीय केबिनेटमंत्री - - - - - - --19 - - 10 -
- - - 53%
2. - राज्य तथा उपमंत्री - - - - - - - -49 - - 34 -
- - - 70%
3. - सचीव-उपसचिव-सयुंक्तसचिव - 500 - -340 - -
- -62%
4. - राज्यपाल-उपराज्यपाल- - - - - -27 - - -13 -
- - -48%
5. - पब्लिक सेक्टर के चीफ - - - - - 158 - - 91 - - -
-58%
ये सभी ऐसे पद है जिसकी नियुक्ति केन्द्र सरकार के प्रधानमन्त्री के रूपमे वाजपेयी निर्णय करते थे. 3.5% ब्राह्मण की स्थिति क्या है और 96.5% गैरब्राह्मण की क्या स्थिति है? 75% शुद्र- अतिशुद्रो (obc SC ST) को कितना प्रतिनिधित्व
मिला होगा ?
भारत में मूलनिवासियो को न्याय नहीं मिलता क्योकि न्यायपालिका पर विदेशी ब्राह्मण-बनियों का कब्ज्जा है !!
यह रहा सबूत =
करिया मुंडा रिपोर्ट - 2000 
18 राज्यों की हाईकोर्ट में OBC SC ST जजों की संख्या 
1) दिल्ली - कुल जज 27 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-27 जज ,ओबीसी - 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
2) पटना - कुल जज 32 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-32 जज ,ओबीसी - 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
3) इलाहाबाद - कुल जज 49 ( (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-47 जज ,ओबीसी - 1 जज SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
4) आंध्रप्रदेश - कुल जज 31 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-25 जज ,ओबीसी - 4 जज SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
5)गुवाहाटी - कुल जज 15 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-12 जज ,ओबीसी - 1 जज SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
६) गुजरात -कुल जज 33 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-30 जज ,ओबीसी - 2 जज SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
7)केरल -कुल जज 24 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 13 जज ,ओबीसी - 9 जज SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
8) चेन्नई -कुल जज 36 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 17 जज ,ओबीसी -16 जज SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
9) जम्मू कश्मीर -कुल जज 12 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 11 जज ,ओबीसी - जज SC- जज ,ST- 1 जज )
10) कर्णाटक -कुल जज 34 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- जज 32 ,ओबीसी - जज SC- 2 जज ,ST- जज )
11) ओरिसा कुल -13 जज (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 12 जज ,ओबीसी - 0 जज SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
12) पंजाब- हरियाणा -कुल 26 जज (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 24 जज ,ओबीसी - 0 जज SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
13)कलकत्ता - कुल जज 37 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 37 जज ,ओबीसी -0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
१४) हिमांचल प्रदेश -कुल जज 6 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 6 जज ,ओबीसी - 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
15)राजस्थान -कुल जज 24 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 24 जज ,ओबीसी - 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
16)मध्यप्रदेश -कुल जज 30 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 30 जज ,ओबीसी - 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
17)सिक्किम -कुल जज 2 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 2 जज ,ओबीसी - 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
18)मुंबई -कुल जज 50 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 45 जज ,ओबीसी - 3 जज SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
कुल TOTAL= 481 जज में से ,विदेशी ब्राह्मण-बनिया 426 जज , ओबीसी जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज
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डॉ सुनील अहीर (बहुजन मुक्ति पार्टी )