Showing posts with label Hemant Karkare. Show all posts
Showing posts with label Hemant Karkare. Show all posts

Thursday, November 26, 2015

26/11 हादसे में सबसे उलझी कड़ी है शहीद हेमंत करकरे की हत्या-उन्होंने मालेगाँव बम ब्लॉस्ट की परतें उधेड़कर मुंबई सहित कई सुरक्षा एजेंसियों को बेनकाब किया था


26/11 हादसे में सबसे उलझी कड़ी है शहीद हेमंत करकरे की हत्या-उन्होंने मालेगाँव बम ब्लॉस्ट की परतें उधेड़कर मुंबई सहित कई सुरक्षा एजेंसियों को बेनकाब किया था

26/11 ये वो काला दिन है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता और न ही इसका जख़्म कभी भर सकता है | वैसे तो इस मुद्दे पर अब तक बहुत कुछ लिखा जा चुका है, दोषियों को सज़ा भी मिल चुकी है पर कुछ सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब अब शायद ही कभी मिल पाये | इस हादसे में सबसे उलझी कड़ी है शहीद हेमंत करकरे की हत्या | सबसे बड़ा सवाल कि विजय सालस्कर और अशोक कामटे जो कि एक दूसरे के प्रतिद्वंदी थे, एक दूसरे को फूटी आँख नहीं देख सकते थे, इन दोनों में होड़ थी कि कौन अधिक से अधिक एनकाउंटर अपने नाम करवाता है वे दोनों एक साथ कैसे आये ?

न०-2 शहीद हेमंत करकरे जो कि उस समय अंधाधुंध फेक एनकाउंटर करने के कारण इन दोनों अधिकारियों को बिलकुल भी पसंद नहीं करते थे बल्कि इनपर कार्यवाई करना चाहते थे वे इन दोनों के साथ कैसे आ गये, उन्हों ने इनपर भरोसा कैसे कर लिया ? जबकि ऐसे मौके पर स्ट्रैजी यह होनी चाहिए थी कि तीनों ऑफिसर तीन अलग अलग टुकड़ियों की कमान लेकर अलग अलग दिशाओं से मोर्चा लेते |

3- मैने देखा है खुद मेरा अनुभव है एक बार गोवा में मेरी गाड़ी का ऐक्सीडेंट हो गया, लगभग डेढ़ सौ मीटर पे पुलिस चौकी थी, पुलिस आई उसने सबसे पहले पूछा किसी को चोट तो नहीं आई, उसके बाद रोड को दोनों तरफ से बंद करके सड़क की चौड़ाई नापी, घटना स्थल से इलेक्ट्रिक पोल की दूरी नापी, नज़दीकी घुमाव, चौराहा, और सिगनल की दूरी दर्ज की यहाँ तक कि दोनों गाड़ियों की लंबाई भी नापी फिर गाड़ी सड़क के किनारे लगाकर हम दोनों के बयान दर्ज किये, एनलाइज़र लगाकर एल्कोहल का पता लगाया तब कहीं जाकर उनका पंचनामा पूरा हुआ | आपने भी देखा होगा कि यदि कहीं कोई छोटी सी भी घटना हो जाये तो सर्वप्रथम पुलिस उस जगह को सील कर देती है, वहाँ मौजूद और पास पड़ोस के लोगों का बयान दर्ज करती है, हर छोटी से छोटी चीज़ को जब्त कर लेती है, हर सामान में फिंगर प्रिंट या फुटमार्क ढूँढती है | पर यहीं से गंभीर सवाल उठता है कि एस्कॉटलैंडयार्ड के बाद विश्व में सबसे तेज़ तर्रार मानी जाने वाली हमारी मुंबई पुलिस अपने बरिष्ठ IAS अधिकारी तत्कलीन ATF चीफ हेमंत करकरे की हत्या को इतना सरसरी तौर पर लेती है कि बुलेट प्रूफ जैकेट गवां देती है, आख़िर इतनी बड़ी चूक कैसे संभव है ? फिर उसके बाद यही मुंबई पुलिस करकरे की विधवा को हर बार ग़लत जानकारियाँ देकर गुमराह करती है, आख़िर क्यूँ ?

यह बात सर्व विदित है कि करकरे लीक से हटकर काम करने वाले एक मात्र ईमानदार अधिकारी थे, यह भी सब को पता है कि उन्होंने मालेगाँव बम ब्लॉस्ट की परतें उधेड़कर मुंबई सहित कई शुरक्षा एजेंसियों को बेनकाब किया था, और असली आरोपियों को जेल भेजा था | सबसे पहले उन्होंने ही सेना में कार्यरत आतंकी कर्नल पुरोहित को पकड़ा, और उन्होंने ही आतंकवाद में संघ की संलिप्तता को उजागर किया उसके बावजूद उनकी हत्या को इतने हल्के में क्यूँ लिया गया यह समझ से परे है |

इतने सारे सवालों और इतनी चूक के बाद सवाल उठता है कि इससे फायदा या नुकसान किसका हुआ ? तो नुकसान मेरी नज़र में सबसे अधिक मुंबई की जनता का हुआ जिसके बेगुनाह लोग मारे गये, देश का हुआ कि उसने करकरे जैसा ईमानदार ऑफिसर खो दिया, और तत्कालीन कांग्रेस सरकार का हुआ जिसे अपना केंद्रीय गृहमंत्री (शिवराज पाटिल) तत्कालीन मुख्यमंत्री (विलाश राव देशमुख) हटाना पड़ा | उन बेगुनाह मुसलमानों का नुकसान हुआ जिन्हें पुलिस ने फर्जी आरोपों में बंद कर रखा था और वह करकरे से न्याय की उम्मीद लगा बैठे थे |
26/11 के हमलावर पाकिस्तानी थे इसमें कोई शक नहीं, थोड़ी ना नुकुर के बाद पाकिस्तान ने भी मान ही लिया पर स्लीपर सेल में कौन कौन थे इसका पता आज तक नहीं चला | एक बात और भी गले नहीं उतरती कि दुनिया की सशक्त नेवी में शुमार होने वाली हमारी भारतीय नेवी कैसे चूक गई, कैसे दस लोग इतना लंबा सफर करके सकुशल अपनी मंजिल तक पहुंच गये | हमारी ख़ुफिया एजेसिंयों कि इसकी कानों कान ख़बर क्यूँ नहीं हुई, कहीं उनके स्लीपर सेल का रोल हमारी शुरक्षा एजेंसियों के लोग ही तो नहीं थे या कहीं हमारी शुरक्षा एजेंसियों ने स्लीपर सेल को बचाने का काम तो नहीं किया ?
सारे नफा नुकसान और तथ्यों को देखने के बाद जो अहम सवाल मन मे आता है वो ये कि आतंकी पाकिस्तान से आये थे या लाये गये थे |
नोट-लेख में उक्त विचार लेखक निजी हैं।

Posted by : अकबर, मुंबई